विश्व जल दिवस, बस बोलने भर

पानी रे पानी तेरा रंग कैसा, जिसमे मिला दो तो लगे उस जैसा, ये गाना पानी की महत्वता को दर्शाता है।

कल विश्व जल दिवस था, पूरे सोशल मीडिया में लोग पानी के जरूरत को अपने तरीके से बता रहे थे।

लेकिन क्या जरूरत बताने से हम पानी का सही ढंग से इस्तेमाल करते है, क्या बिल्कुल भी पानी की बर्बादी बन्द होचुकी है।

नही ऐसा बिल्कुल भी नही है और ना ही मैं आपको कोई डेटा दूंगा इससे जुड़ी हुई क्योंकि समझ में वो तो आएगी नही।

यार ये समझ नही आता कि लोगों की समस्या क्या है, पानी बर्बाद करना तो अब नए दौर की फैशन बन चुकी है।

क्या हमलोग को अपने आने वाली पीढ़ी की बिल्कुल भी चिंता नही, क्या हमारा दायित्व नही बनता कि हम लोगों को अपने तरफ से जागरूक करे ताकि वो भी पानी बचाये।

आदमी पानी के बिना तो 20 दिन जी सकता है लेकिन पानी के बिना 4 दिन भी नही जी सकता है, ये बात हमारे भेजे में कब आएगी।

बस सोशल मीडिया में #worldwaterday को ट्रेन्ड कराने से क्या हमारी जिम्मेदारी पूरी होजाती है।

नहीं जबतक हम खुद पानी को सही तरीके से इस्तेमाल नही करेंगे और सामने वाले को सीख नही देंगे तबतक कुछ भी बदलने वाला नही है।

पूरी दुनिया में पानी की किल्लत बढ़ते जा रही है, लेकिन मैं पूरी दुनिया की बात नही करूँगा, करूँगा तो बस अपने देश भारत की, क्योंकि शर्म तो हमें आती नही।

जैसे जैसे हमारा देश आगे बढ़ते जा रहा है, हमारी नदियां और गन्दी होते जा रही है, किसानों को खेती करने के लिए पानी ढंग से उपलब्ध नही हो पा रहे लेकिन फिर भी हम पानी बर्बाद करने से पीछे नही हट रहे।

किसी को पीने के लिए पानी नही मिलता है लेकिन किसी के पास पानी बर्बाद करने से फुर्सत नही मिलती है। लोगों को ये समझना होगा कि जबतक जल है तबतक हम है।

पानी के कमी के चलते जो प्रवासी पक्षीं जो कभी हमारे देश में विश्राम करने के लिए आया करती थी उनका घूमने आना भी बंद होचुका है, हालात ऐसे ही रहे तो जिन गौरैय्या और मैना को देखते हुए हमारा बचपन बीता है, आने वाले समय में उन चिड़ियों को हमारे बच्चे नही देख पाएंगे।

जल ही जीवन है, एक बूंद पानी को बर्बाद करके हम अपनी बर्बादी की ओर बढ़ रहे है । गर्मी आते ही सूखा पड़ जाता है, गांव शहरों मे लोगो को दिक्कत होने लगती है, अगर हम इन चीज़ों को सोचते हुए पानी बचाने की कोशिश करे तो बहुत हद तक बहुत कुछ सही होगा।

इस साल हमारे देश में बहुत बड़ी चुनौती ये भी है कि नदी नालों में बर्बाद होरही पानी को बचाना होगा, अगर ऐसा नही हुआ तो जो लोग गाँव से उठकर शहरों की तरफ अपने कदम बढ़ा रहे है, उनको बहुत दिक्कत होगा।

हमारी जिम्मेदारी है ये की हम अब कदम उठाए और इस परेशानी को खत्म करे वरना लानत है अपने को देश का भविष्य बताने में ।

अंत में बस यही बोलूंगा, जैसे सांस लेने के लिए हवा जरूरी है वैसे ही जीने के लिए पानी भी उतनी जरूरी है। आज हम पानी को बर्बाद कर रहे कल याद रखना पानी हमें बर्बाद करेगी।

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